आईपीसी की धारा 147 क्या जमानती है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 147 के तहत दंगे में भाग लेने के लिए दण्ड 2 साल की कैद या जुर्माना होता है, या दोनों, जो नुकसान की प्रकृति और मात्रा पर निर्भर करता है। इस धारा के तहत किए गए कार्य संज्ञेय और जमानती अपराध के तौर पर जाने जाते हैं, जो कि किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा सुनवाई के लिए विचार किए जाते हैं।
आईपीसी की धारा 147 क्या जमानती है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 147 के तहत दंगे में भाग लेने के लिए दण्ड 2 साल की कैद या जुर्माना होता है, या दोनों, जो नुकसान की प्रकृति और मात्रा पर निर्भर करता है। इस धारा के तहत किए गए कार्य संज्ञेय और जमानती अपराध के तौर पर जाने जाते हैं, जो कि किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा सुनवाई के लिए विचार किए जाते हैं।
धारा 147: यह धारा दंगे में भाग लेने पर सजा के बारे में है। इस धारा के तहत अपराधियों को दो साल तक की कैद या जुर्माना दिया जा सकता है।
धारा 148: इस धारा के अंतर्गत एक समूह द्वारा किए गए किसी अपराध के लिए सजा दी जाती है। इस धारा के तहत अपराधियों को तीन साल तक की कैद या जुर्माना दिया जा सकता है।
धारा 149: यह धारा किसी समूह के सदस्यों के लिए अपराध के विवरणों को छिपाने या संदर्भों को तैयार करने पर सजा के बारे में है। इस धारा के तहत अपराधियों को दो साल तक की कैद या जुर्माना दिया जा सकता है।
क्या 147 ipc compoundable or not
IPC की धारा 147 के अंतर्गत अपराध समझौते के आधार पर बंद नहीं किया जा सकता है इस धारा के तहत अपराधी को बिना वारंट के गिरफ्तार करने की अधिकार होती है, इसे संज्ञेय अपराध कहा जाता है। यह अपराध जमानती होता है अर्थात् जमानत अधिकार होता है। इसके अलावा यह समझौते के आधार पर बंद नहीं किया जा सकता है, इसे गैर-मुजरिमाना अपराध कहा जाता है जिसकी पूरी विचारणा अदालत में की जानी चाहिए।

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